प्यार,
इश्क, मोहब्बत... दोस्तों से कई बार इन शब्दों को सुन चुका था। कुछ
कहानियां भी पढ़ीं थीं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि ये चंद शब्द अचानक मेरे
मन के किसी कोने से निकलकर हलचल मचाने लगेंगे।
प्यार का शायद वह पहला अहसास था या फिर आकर्षण... मैं आज तक नहीं समझ सका। उस आकर्षण में बंधा हुआ आज भी उस चेहरे की उस पहली झलक का इस दिल पर इतना गहरा असर हुआ कि दिल के हर कोने में आज भी वह उसी तरह साकार है जैसा कि उस पहले दिन थी।
उस दिन मेरा मन कुछ समझने-समझाने में नहीं लग रहा था। क्लास में कुछ अनमना सा बैठा था, पता नहीं क्यूं...। सर कुछ बता रहे था या फिर बताने की कोशिश सी कर रहे थे और मेरा दिल बार-बार पलकों को उठाने के लिए मजबूर कर रहा था.... वह ठीक सामने बैठी थी, मन में शायद उसके भी हलचल थी या हो सकता है ये मेरे ही दिल का भ्रम हो... मगर मैं आज भी उस भ्रम को टूटने नहीं देना चाहता।
कई बार ऐसा होता है न कि कोई एक शख्स यूं ही अचानक आकर जिंदगी में हलचल सी मचा देता है या जिंदगी ही बदल देता है। उसने कुछ ऐसा ही किया मेरे साथ भी। उस एक पल ने शायद मेरी पूरी जिंदगी बदल दी या हो सकता है कि यह उस लम्हे की खुमारी हो। मुझे उस प्यार के मायने समझा दिया जो उम्र के इस दौर का सबसे सुखद अहसास है और दिलो-दिमाग में कई रंगीन सपनों के ताने-बाने बुनने का एक बेसबब सा सबब बन जाता है। दिमाग चाह रहा था कि मैं सर की बातों पर ध्यान दूं, मगर दिल ऐसा नहीं करने दे रहा था। दिल की विवशता ही कुछ ऐसी थी कि चोरी-चोरी बार-बार नजरें उठ रहीं थी, उन अजनबी निगाहों से टकरा रहीं थीं और यूं ही झुक रहीं थीं... और वह चेहरा...उफ...हर बार मन के अंतर में कहीं गहरा और गहरी पैठ बनाता जा रहा था।
क्या था उस चेहरे में..? क्यों मैं विवश हो रहा था..? क्यों मैं उसे भी हर उस लड़की की तरह नजर अंदाज नहीं कर पा रहा था..? इन सवालों का जवाब मैं आज तक नहीं तलाश सका। अब तलाशने की ख्वाहिश भी नहीं है। बस यही लगता है कि वह एक पल जिंदगी में न होता तो क्या होता..? शायद उसी एक लम्हे ने मेरी ङ्क्षजदगी में कुछ उलझन और कुछ सुलझन भर दी। उलझन जिसे मैं आज तक नहीं सुलझा पाया और सुलझन वह क्या थी, समझने की कोशिश कर रहा हूं।
प्यार का शायद वह पहला अहसास था या फिर आकर्षण... मैं आज तक नहीं समझ सका। उस आकर्षण में बंधा हुआ आज भी उस चेहरे की उस पहली झलक का इस दिल पर इतना गहरा असर हुआ कि दिल के हर कोने में आज भी वह उसी तरह साकार है जैसा कि उस पहले दिन थी।
उस दिन मेरा मन कुछ समझने-समझाने में नहीं लग रहा था। क्लास में कुछ अनमना सा बैठा था, पता नहीं क्यूं...। सर कुछ बता रहे था या फिर बताने की कोशिश सी कर रहे थे और मेरा दिल बार-बार पलकों को उठाने के लिए मजबूर कर रहा था.... वह ठीक सामने बैठी थी, मन में शायद उसके भी हलचल थी या हो सकता है ये मेरे ही दिल का भ्रम हो... मगर मैं आज भी उस भ्रम को टूटने नहीं देना चाहता।
कई बार ऐसा होता है न कि कोई एक शख्स यूं ही अचानक आकर जिंदगी में हलचल सी मचा देता है या जिंदगी ही बदल देता है। उसने कुछ ऐसा ही किया मेरे साथ भी। उस एक पल ने शायद मेरी पूरी जिंदगी बदल दी या हो सकता है कि यह उस लम्हे की खुमारी हो। मुझे उस प्यार के मायने समझा दिया जो उम्र के इस दौर का सबसे सुखद अहसास है और दिलो-दिमाग में कई रंगीन सपनों के ताने-बाने बुनने का एक बेसबब सा सबब बन जाता है। दिमाग चाह रहा था कि मैं सर की बातों पर ध्यान दूं, मगर दिल ऐसा नहीं करने दे रहा था। दिल की विवशता ही कुछ ऐसी थी कि चोरी-चोरी बार-बार नजरें उठ रहीं थी, उन अजनबी निगाहों से टकरा रहीं थीं और यूं ही झुक रहीं थीं... और वह चेहरा...उफ...हर बार मन के अंतर में कहीं गहरा और गहरी पैठ बनाता जा रहा था।
क्या था उस चेहरे में..? क्यों मैं विवश हो रहा था..? क्यों मैं उसे भी हर उस लड़की की तरह नजर अंदाज नहीं कर पा रहा था..? इन सवालों का जवाब मैं आज तक नहीं तलाश सका। अब तलाशने की ख्वाहिश भी नहीं है। बस यही लगता है कि वह एक पल जिंदगी में न होता तो क्या होता..? शायद उसी एक लम्हे ने मेरी ङ्क्षजदगी में कुछ उलझन और कुछ सुलझन भर दी। उलझन जिसे मैं आज तक नहीं सुलझा पाया और सुलझन वह क्या थी, समझने की कोशिश कर रहा हूं।